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पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था के बीच कैसे चुनें? क्या आप वापस बदल सकते हैं या बाहर निकल सकते हैं? यह इतना आसान नहीं है !!

हर साल, भारत में करदाताओं को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेना होता है - पुरानी टैक्स व्यवस्था के साथ बने रहें, जो कटौतियाँ और छूट प्रदान करती है, या नई टैक्स व्यवस्था को चुनें, जिसमें कर दरें कम हैं लेकिन लाभ भी सीमित हैं। सही चुनाव करना आपकी टैक्स देनदारी और वित्तीय योजना को प्रभावित कर सकता है।

Post last updated: March 6, 2025

वेतनभोगी कर्मचारियों को हर साल विकल्प मिलता है

अगर आप वेतनभोगी कर्मचारी हैं, तो आप हर वित्तीय वर्ष की शुरुआत में अपनी टैक्स व्यवस्था चुन सकते हैं। अगर आप अपने नियोक्ता को नहीं बताते हैं, तो वे नई टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्स काटेंगे।

लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है—अगर आपका TDS नई टैक्स व्यवस्था के तहत काट लिया गया है, तो आप ITR फाइल करते समय पुरानी व्यवस्था चुन सकते हैं और अतिरिक्त टैक्स वापस पा सकते हैं।


उदाहरण: अमित को कौन सी टैक्स व्यवस्था चुननी चाहिए?

अमित की सालाना आय ₹12 लाख है और उसे समझ नहीं आ रहा कि कौन-सी टैक्स व्यवस्था उसके लिए सही होगी।

  • पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत, वह निम्नलिखित कटौतियाँ प्राप्त कर सकता है:

    • धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख (EPF, PPF, ELSS आदि निवेश)
    • धारा 80D के तहत ₹25,000 (स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम)
    • धारा 24(b) के तहत ₹2 लाख (होम लोन का ब्याज)
    • ₹50,000 मानक कटौती

    इन कटौतियों से उसकी करयोग्य आय कम हो जाएगी और उसे कम टैक्स देना पड़ेगा।

  • नई टैक्स व्यवस्था के तहत, उसे कोई भी कटौती नहीं मिलेगी लेकिन कम टैक्स दर का लाभ मिलेगा।

अगर अमित का नियोक्ता नई टैक्स व्यवस्था के तहत TDS काटता है, लेकिन बाद में उसे लगता है कि पुरानी व्यवस्था से उसे ज्यादा बचत होगी, तो वह ITR फाइल करते समय पुरानी व्यवस्था चुन सकता है और अतिरिक्त टैक्स वापस पा सकता है।


व्यवसायी और फ्रीलांसरों के लिए सीमित विकल्प

अगर आप व्यवसायी या फ्रीलांसर हैं, तो आपके पास वेतनभोगियों जैसी सुविधा नहीं होती। अगर आप एक बार नई टैक्स व्यवस्था को छोड़ देते हैं, तो जीवन में केवल एक बार ही वापस आ सकते हैं।


उदाहरण: व्यवसायी नेहा का फैसला

नेहा एक फ्रीलांस ग्राफिक डिज़ाइनर है और सालाना ₹18 लाख कमाती है।

  • शुरुआत में, उसने नई टैक्स व्यवस्था को चुना क्योंकि उसके पास टैक्स बचाने के ज्यादा विकल्प नहीं थे।
  • कुछ सालों बाद, उसने PPF, स्वास्थ्य बीमा और होम लोन में निवेश शुरू किया, जिससे पुरानी टैक्स व्यवस्था उसके लिए फायदेमंद हो गई।
  • अगर वह पुरानी टैक्स व्यवस्था चुनती है, तो वह दोबारा नई टैक्स व्यवस्था में वापस नहीं जा सकती।

चूंकि व्यवसायी केवल एक बार पुरानी व्यवस्था में वापस आ सकते हैं, इसलिए उन्हें भविष्य की योजना को ध्यान में रखकर फैसला करना चाहिए।


कौन-सी टैक्स व्यवस्था चुनें? मुख्य बातें

क्या आप कटौतियों का लाभ लेते हैं?

  • अगर आप 80C, 80D, होम लोन जैसी कटौतियाँ लेते हैं, तो पुरानी टैक्स व्यवस्था बेहतर हो सकती है।
  • अगर आप कोई कटौती नहीं लेते, तो नई टैक्स व्यवस्था बेहतर हो सकती है क्योंकि इसमें टैक्स दरें कम हैं।

क्या आपकी आय वेतन या व्यवसाय से है?

  • वेतनभोगी कर्मचारी हर साल टैक्स व्यवस्था बदल सकते हैं।
  • व्यवसायी केवल एक बार पुरानी व्यवस्था में वापस आ सकते हैं।

क्या आप रिटायरमेंट के लिए निवेश कर रहे हैं?

  • अगर आप PPF, NPS, EPF में निवेश करते हैं, तो पुरानी टैक्स व्यवस्था आपके लिए सही हो सकती है।

आसान फैसला लें

सही निर्णय लेने के लिए 👉 आयकर कैलकुलेटर 🌟 का उपयोग करें। यह टूल आपकी टैक्स देनदारी की विस्तृत गणना करके आपको सबसे अच्छा विकल्प चुनने में मदद करेगा।


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. क्या मैं हर साल टैक्स व्यवस्था बदल सकता हूँ?
- वेतनभोगी कर्मचारी: हाँ, वे हर साल बदल सकते हैं।
- व्यवसायी: नहीं, वे केवल **एक बार पुरानी व्यवस्था में वापस आ सकते हैं।**
2. अगर मैं अपने नियोक्ता को टैक्स व्यवस्था के बारे में नहीं बताऊँ तो क्या होगा?
- आपका नियोक्ता नई टैक्स व्यवस्था के अनुसार TDS काटेगा।
- लेकिन आप ITR फाइल करते समय पुरानी व्यवस्था चुन सकते हैं और अतिरिक्त टैक्स वापस पा सकते हैं।
3. क्या नई टैक्स व्यवस्था हमेशा बेहतर होती है?
- नहीं, यह इस पर निर्भर करता है कि आप कटौतियाँ क्लेम कर रहे हैं या नहीं।
- अगर आप कटौतियाँ लेना चाहते हैं, तो पुरानी व्यवस्था बेहतर है।
- अगर आप सरल टैक्स भुगतान और कम दरें पसंद करते हैं, तो नई व्यवस्था सही हो सकती है।
4. मैं अपनी टैक्स देनदारी की तुलना कैसे कर सकता हूँ?
- आप www.fincalci.com पर आयकर कैलकुलेटर का उपयोग कर सकते हैं या टैक्स विशेषज्ञ से सलाह ले सकते हैं।
5. अगर मैंने पहले व्यवसाय किया हो और बाद में नौकरी कर ली तो क्या होगा?
- अगर आपने व्यवसाय के दौरान नई टैक्स व्यवस्था को छोड़ दिया, तो आप भविष्य में दोबारा इसे नहीं चुन सकते, भले ही आप बाद में वेतनभोगी बन जाएँ।
निष्कर्ष!

सही टैक्स व्यवस्था आपकी वित्तीय स्थिति पर निर्भर करती है।

  • वेतनभोगी कर्मचारी हर साल व्यवस्था बदल सकते हैं।
  • व्यवसायी को सावधानीपूर्वक निर्णय लेना चाहिए, क्योंकि उनके पास वापस लौटने का केवल एक अवसर होता है।

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Disclaimer: The views expressed are personal in nature and do not constitute professional advice. Investors are advised to seek professional help before making any decisions.

Author:

Vivek